आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "arbad-e-maidaa.n"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "arbad-e-maidaa.n"
ग़ज़ल
'क़ुदसी' तो अकेला नहीं मैदान-ए-सुख़न में
हर कूचा-ओ-बाज़ार में फ़न-कार बहुत हैं
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
बहते जाते हैं यहाँ चारों तरफ़ लाफ़-ओ-ग़ज़ाफ
फ़न के मैदान में पाकीज़ा सुख़नवर ख़ामोश
औलाद-ए-रसूल क़ुद्सी
ग़ज़ल
लिबास-ए-मर्द-ए-मैदाँ जौहर-ए-ज़ाती किफ़ायत है
नहीं पिरोए पोशिश मा'रके में तेग़-ए-उर्यां को
मीर तक़ी मीर
कुल्लियात
लिबास-ए-मर्द-ए-मैदाँ जौहर-ए-ज़ाती किफ़ायत है
नहीं पिरोए पोशिश मा'रके में तेग़-ए-उर्यां को
मीर तक़ी मीर
अन्य परिणाम "arbad-e-maidaa.n"
ग़ज़ल
मैं जो दुश्मन के बुलावे पर निकल आया हूँ 'मिदहत'
बर-सर-ए-मैदान में कुछ ठानना ही चाहता हूँ
मिद्हत-उल-अख़्तर
नज़्म
जवानों से ख़िताब
बनो मर्द-ए-मैदाँ बनो मर्द-ए-ग़ाज़ी
'अदू पर शुजा'अत का सिक्का बिठाओ