aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ba-KHair"
झलकता है मिज़ाज-ए-शहरयारी हर बुन-ए-मू सेब-ज़ाहिर 'ख़ैर' हर्फ़-ए-ख़ाकसारी ले के निकला है
एक ज़माना थामेरा उस की गलियों में
जाओ क़रार-ए-बे-दिलाँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैरसहन हुआ धुआँ धुआँ शाम-ब-ख़ैर शब-ब-ख़ैर
सफ़र ब-ख़ैर हो अंजाम तक पहुँच जाएँख़ुदा करे ये क़दम शाम तक पहुँच जाएँ
रंग तमाम भर चुकी सुब्ह-ब-ख़ैर ज़िंदगीमुझ में क़ज़ा निखर चुकी सुब्ह-ब-ख़ैर ज़िंदगी
ब-ख़ैरبخیر
in peace and safety, well
यादश-ब-ख़ैर
फ़ातमा अालम अली
हास्य-व्यंग
Yadash Ba-Khair
महिलाओं की रचनाएँ
Zikr-e-Khair-ul-Maruf ba saheefa-e-mahboob
महबूब आलम
Iqbal Ba Chasham-e-Khair
रऊफ़ ख़ैर
इक़बालियात तन्क़ीद
Ba-Chashm-e-Khair
लेख
Khair ba Chashm-e-Ahl-e-Khair
मक़बूल फ़ारूकी
आलोचना
Bar-e-Khatir
शौकत थानवी
पत्र
Ba Nok-e-Khaar Mee Raqsam
ख़ुर्शीदुल इस्लाम
ग़ज़ल
Nuskha-e-Zeenat-ul-Khail Ba-Zaban-e-Urdu
मुंशी मोहम्मद मेहदी
Be-Fikri Ka Akhri Din
राशिदुल ख़ैरी
शिक्षाप्रद
Be-Anwar-il-Bahiyya An Khair-il-Bariyya
बुरहानुद्दीन क़ादरी
इस्लामियात
ख़लिश बेनाम खी ख़ातिर
ज़र्रीन आरज़ू
नॉवेल / उपन्यास
जुनूँ ब-ख़ैर हर आफ़त से कामराँ निकलेतलाश-ए-मंज़िल-ए-जानाँ में हम जहाँ निकले
यही दुआ है यही है सलाम इश्क़ ब-ख़ैरमिरे सभी रुफ़क़ा-ए-किराम इश्क़ ब-ख़ैर
यादश-ब-ख़ैर है वही चेहरा ख़याल मेंसौ जन्नतें जवान हैं गोया ख़याल में
यादश-ब-ख़ैर जब वो तसव्वुर में आ गयाशे'र ओ शबाब ओ हुस्न का दरिया बहा गया
हश्र मिरा ब-ख़ैर हो मुझ को बना रहे हो तुमख़ाक में जान डाल कर ख़ाक उड़ा रहे हो तुम
कह कर वो शब-ब-ख़ैर दु'आ दे के सो गयाबेचैन आरज़ू को ये क्या दे के सो गया
यादश-ब-ख़ैर साया-फ़गन घर ही और थालौटा मुसाफ़िरत से तो मंज़र ही और था
सफ़र-ब-ख़ैर प रख़्त-ए-सफ़र न ले जानाज़मीं की हसरतें अब चाँद पर न ले जाना
है ये मेरी इल्तिजाहो ब-ख़ैर इख़्तिताम
'जौन' उस आन तक ब-ख़ैर हूँ मैंज़िंदगी दाव चल गई होगी
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