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नज़्म
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
गिरी है बर्क़-ए-तपाँ दिल पे ये ख़बर सुन कर
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
आफ़ताब रईस पानीपती
ग़ज़ल
संग-ए-जफ़ा का ग़म नहीं दस्त-ए-तलब का डर नहीं
अपना है उस पर आशियाँ नख़्ल जो बारवर नहीं
नज़्म तबातबाई
नज़्म
कव्वे और हिरन की दोस्ती
इक दश्त में सुना है कि इक ख़ूब था हिरन
बच्चा ही था अभी न हुआ था बड़ा हिरन
नज़ीर अकबराबादी
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नज़्म
दरख़्त-ए-ज़र्द
नहीं मालूम 'ज़रयून' अब तुम्हारी उम्र क्या होगी
वो किन ख़्वाबों से जाने आश्ना ना-आश्ना होगी
जौन एलिया
नज़्म
बरसात की बहारें
हैं इस हवा में क्या क्या बरसात की बहारें
सब्ज़ों की लहलहाहट बाग़ात की बहारें