aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-charaaG"
मय-कदे के मुख़्तलिफ़ आदाब होते हैं 'चराग़'जो यहाँ पर साहब-ए-किरदार है बे-कार है
इस शहर-ए-बे-चराग़ में जाएगी तू कहाँआ ऐ शब-ए-फ़िराक़ तुझे घर ही ले चलें
उस शहर-ए-बे-चराग़ के रस्ते अजीब थेकूचे हज़ार
गुज़िश्ता बारिशों की बे-चराग़ रातों मेंजब कहानियाँ बुनते हुए मेरी आँख लग जाती
इस शहर-ए-बे-चराग़ में दो-चार हम ही हैंरहते हैं वो जो सूरत-ए-अनवार हम ही हैं
बे-चराग़بے چراغ
dark, childless home, unlit, guideless
Be Charagh Aakhen
ज़फ़र अंसारी ज़फ़र
काव्य संग्रह
Be Charagh Basti
मंसूर कैंसर
अफ़साना
Shahr-e-Be-Charagh Mein
सईद आरिफ़ी
नज़्म
Shahr-e-Be-Chiragh Mein
Jadid Farsi Shayari
सय्यद मोहम्मद तक़ी अली अाबदी
शोध
Roshan Chiragh Quran Pak Ka Salees Ba-Muhawara Tarjuma
फ़तह मोहम्मद ख़ाँ
Yadon ke Chiragh
इस्मतुल्लाह इस्मत बेग
संस्मरण
Chiragh Ba-Dast Tazkire, Inshaiye Aur Safriyat
मोहम्मद इकरामुल हक़
Hind-o-Pak Mushaira Ba-Yadgar Chaudhri Charan Singh
मुकर्रम रज़ा खां इनायती
सारी बस्ती में फ़क़त मेरा ही घर है बे-चराग़तीरगी से आप को मेरा पता मिल जाएगा
ये महर ओ मह बे-चराग़ ऐसे कि राख बन कर बिखर रहे हैंहम अपनी जाँ का दिया बुझाए किसी गली से गुज़र रहे हैं
शहर की बे-चराग़ गलियों मेंज़िंदगी तुझ को ढूँडती है अभी
रह के इक शहर-ए-बे-चराग़ में हमरोज़ जीते हैं रोज़ मरते हैं
निकले अगर तो चाँद दरीचे में रुक भी जाएइस शहर-ए-बे-चराग़ में किस का नसीब था
कल तक जहाँ में जिन को कोई पूछता न थाइस शहर-ए-बे-चराग़ में वो मो'तबर हुए
'मोहसिन' न जाने सुब्ह नुमूदार होगी कबये शाम-ए-बे-चराग़ ही तक़दीर हो न जाए
इस शहर-ए-बे-चराग़ में चेहरा वो चाँद साआए जो अपने सामने कैसा दिखाई दे
कुछ भी नहीं है पास तुम्हारी दुआ तो हैइस शहर-ए-बे-चराग़ में इक आसरा तो है
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