aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "be-sabab"
कलाम साहब बी.ए
अनुवादक
यूँही बे-सबब न फिरा करो कोई शाम घर में रहा करोवो ग़ज़ल की सच्ची किताब है उसे चुपके चुपके पढ़ा करो
बे-ख़ुदी बे-सबब नहीं 'ग़ालिब'कुछ तो है जिस की पर्दा-दारी है
बे-सबब मुस्कुरा रहा है चाँदकोई साज़िश छुपा रहा है चाँद
आज तो बे-सबब उदास है जीइश्क़ होता तो कोई बात भी थी
बे-सबब ग़म ज़ियादा मंज़ूर हैमैं इन ग़म के लम्हों को ख़ुशी ख़ुशी निभा लूंगा
लखनवी शाइ’री की तीसरी पीढ़ी के प्रमुख प्रतिनिधि शाइ’र। ख़्वाजा ‘आतिश’ के लाइक़ शागिर्द थे। अफ़ीम का शौक़ था, ख़ुद खाते और मेहमानों को खिलाते। वाजिद अ’ली शाह ने दो सौ रुपए माहवार वज़ीफ़ा बाँध रखा था, जिससे ऐश में गुज़रती थी।
बे-सबबبے سبب
without cause or reason
Jawab-e-Ba-Sawab
अननोन ऑथर
इस्लामियात
Aatish-e-Be-Nam
मुज़फ़्फ़रुद्दीन ख़ाँ साहब
ग़ज़ल
Pa Ba Jaulan
नईम सबा
काव्य संग्रह
Irani Kok Shastr
अज़मत अली हसरत लखनवी
Karishma-e-Shabab
एच. एम. हैरान
Risala Musamma Ba Mushtahir-al-Faiz
Munshi Gobind Lal Saba
Iltimas Be Huzur-e-Janab-e-Nawwab Sahab Bahadur Wali-e-Rampur
सैयद महमूद शाह
Shajra Ba-Samra Sayyad Ahmad Sahab
वीलायत अली सादिक़पूरी अज़ीमाबादी
नक्शबंदिया
Prof Wilson Sahab ka Risaala-e-Amraz
आर. बी. एस. भंडारी
ये आँसू बे-सबब जारी नहीं हैमुझे रोने की बीमारी नहीं है
बे-सबब भी रक़ीब होते हैंलोग कितने अजीब होते हैं
एक बच्चा सा बे-सबब 'जाज़िल'बैठा रहता है रूठ कर मुझ में
बे-सबब ख़ामुशी नहीं ओढ़ीतेरी आँखों का हुक्म माना है
बे-सबब बार बार आती हैयाद बे-इख़्तियार आती है
सबब बनाए कभी बे-सबब बिछड़ जाएउसे ये हक़ है कि ढाए ग़ज़ब बिछड़ जाए
यकायक और बज़ाहिर बे-सबबशाने पे उस ने हाथ क्या रख्खा
बे-सबब बात बढ़ाने की ज़रूरत क्या हैहम ख़फ़ा कब थे मनाने की ज़रूरत क्या है
बे-सबब 'राग़िब' तड़प उठता है दिलदिल को समझाना पड़ेगा ठीक से
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