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नज़्म
शहीदान-ए-आज़ादी
और इस के बा'द भी क़ुर्बानियाँ देते रहे
फिर भगत सिंह और साथी उस के सूली पर चढ़े
प्रेम लाल शिफ़ा देहलवी
नज़्म
अम्न का तेहवार
आज वो दिन है कि जिस दिन के लिए थे ख़ूँ बहे
चंद्र-शेखर और भगत-सिंह और फिर गाँधी के ख़ून
ख़याल अंसारी
नज़्म
दो-आबा बस्त जालंधर
तू जन्मदाता भगत-सिंह और श्रद्धा-नंद का
मदरसा तू सूफ़ियों संतों के वा'ज़-ओ-पंद का
अर्श मलसियानी
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नज़्म
भगत सिंह आज़ाद
क़ौम-ओ-वतन का वीर भगत सिंह कहें जिसे
हो कर शहीद मुल्क को ग़ाज़ी बना गया
बेकल उत्साही
नज़्म
ज़िंदाबाद ऐ वतन
तू भगत सिंह की आँखों का तारा बना
टीपू सुल्तान का तू दुलारा बना
फ़ज़ल हक़ अज़ीमाबादी
नज़्म
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
गिरी है बर्क़-ए-तपाँ दिल पे ये ख़बर सुन कर
चढ़ा दिया है भगत-सिंह को रात फाँसी पर
आफ़ताब रईस पानीपती
नज़्म
ईस्ट इंडिया कंपनी के फ़रज़ंदों से ख़िताब
वो 'भगत-सिंह' अब भी जिस के ग़म में दिल नाशाद है
उस की गर्दन में जो डाला था वो फंदा याद है
जोश मलीहाबादी
नज़्म
इन्हें कुछ न कहो
हैं भगत सिंह के अहबाब की नज़रों में हुज़ूर
इन के मिटने के हैं आसार इन्हें कुछ न कहो
हिलाल रिज़वी
नज़्म
तआ'रुफ़
इन से मिलिए ये हैं असलम गामा के उस्ताद हैं
दारा सिंह और भोलू के भी दाओ सब इन को याद हैं