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ग़ज़ल
जहाँ देखो वहाँ मौजूद मेरा कृष्ण प्यारा है
उसी का सब है जल्वा जो जहाँ में आश्कारा है
भारतेंदु हरिश्चंद्र
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ग़ज़ल
गले मुझ को लगा लो ऐ मिरे दिलदार होली में
बुझे दिल की लगी भी तो ऐ मेरे यार होली में
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
नींद आती ही नहीं धड़के की बस आवाज़ से
तंग आया हूँ मैं इस पुर-सोज़ दिल के साज़ से
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
आ गई सर पर क़ज़ा लो सारा सामाँ रह गया
ऐ फ़लक क्या क्या हमारे दिल में अरमाँ रह गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
ग़ज़ब है सुर्मा दे कर आज वो बाहर निकलते हैं
अभी से कुछ दिल-ए-मुज़्तर पर अपने तीर चलते हैं
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
दिल मिरा तीर-ए-सितमगर का निशाना हो गया
आफ़त-ए-जाँ मेरे हक़ में दिल लगाना हो गया
भारतेंदु हरिश्चंद्र
ग़ज़ल
असीरान-ए-क़फ़स सेहन-ए-चमन को याद करते हैं
भला बुलबुल पे यूँ भी ज़ुल्म ऐ सय्याद करते हैं