आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "bulbul-e-ra.ngii.n-navaa"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "bulbul-e-ra.ngii.n-navaa"
ग़ज़ल
ये ज़मज़मा तुयूर-ए-ख़ुश-आहंग का नहीं
है नग़्मा-संज बुलबुल-ए-रंगीं-नवा-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
शेर
ये ज़मज़मा तुयूर-ए-ख़ुश-आहंग का नहीं
है नग़्मा-संज बुलबुल-ए-रंगीं-नवा-ए-क़ल्ब
पंडित जवाहर नाथ साक़ी
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "bulbul-e-ra.ngii.n-navaa"
नज़्म
नज़्र-ए-ख़ालिदा
छेड़ इस अंदाज़ से ऐ मुतरिब-ए-रंगीं-नवा
टूट जाए आज इक इक तार तेरे साज़ का
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
बात क्या है खोया खोया सा नज़र आता है क्यों
'फ़ैज़ी'-ए-रंगीं-नवा जादू-बयाँ कुछ इन दिनों
फ़ैज़ी निज़ाम पुरी
ग़ज़ल
छुप के बैठेगा कहाँ तू हम से ऐ रंगीं-नवा
होगा तू जिस रंग में मिल जाएँगे उस रंग से