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ग़ज़ल
हो मुक़ाबिल नाला-ए-दर्द-ए-दिल-ए-उश्शाक़ के
बाग़बाँ बुलबुल को ऐसा भी तराना याद है
मिर्ज़ा मासिता बेग मुंतही
कुल्लियात
एक रोना ही नहीं आह-ओ-ग़म-ओ-नाला-ओ-दर्द
हिज्र में ज़िंदगी करने के तईं क्या क्या हो
मीर तक़ी मीर
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ग़ज़ल
कलीम आजिज़
ग़ज़ल
नाला-ओ-आह-ओ-फ़ुग़ाँ दर्द-ओ-अलम सोज़-ओ-गुदाज़
आह कैसे कैसे 'जोशिश' अपने ग़म-ख़्वारों में थे
जोशिश अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
ख़्वाब हसरत अश्क उलझन नाला-ओ-फ़र्याद-ओ-ग़म
किश्त-ए-जाँ में रोज़ फ़स्ल-ए-दर्द उगती है मियाँ
ज़ाकिर ख़ान ज़ाकिर
ग़ज़ल
रश्क-ए-हम-तरही ओ दर्द-ए-असर-ए-बांग-ए-हज़ीं
नाला-ए-मुर्ग़-ए-सहर तेग़-ए-दो-दम है हम को
मिर्ज़ा ग़ालिब
ग़ज़ल
हैफ़ दर्द-ए-सख़्त-जानी वाए उज़्र-ए-नाज़ुकी
हो नहीं सकता मिरा सर दस्त-ए-क़ातिल से अलग