aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "dayaar-e-dil"
मकतबा-ए-दारुल फ़ुरक़ान
पर्काशक
दयार-ए-दिल की रात में चराग़ सा जला गयामिला नहीं तो क्या हुआ वो शक्ल तो दिखा गया
दयार-ए-दिल से किसी का गुज़र ज़रूरी थाउजाड़ रस्ते पे कोई शजर ज़रूरी था
दयार-ए-दिल न रहा बज़्म-ए-दोस्ताँ न रहीअमाँ की कोई जगह ज़ेर-ए-आसमाँ न रही
दयार-ए-दिल में कोई इतना ख़ुश-नसीब तो होहरीफ़-ए-दार तो हो ज़ीनत-ए-सलीब तो हो
दयार-ए-दिल में नया नया सा चराग़ कोई जला रहा हैमैं जिस की दस्तक का मुंतज़िर था मुझे वो लम्हा बुला रहा है
दयार-ए-दिलدیار دل
city of heart
Chand Din Dayar-e-Ghari Mein
अब्दुल्लाह अब्बास नदवी
सफ़र-नामा / यात्रा-वृतांत
Chand Din Dayar-e-Ghair Mein
Safarnama-e-Hayat
Muraqqa-e-Daya Nandi
अंसार दिन-ए-इलाही मछलीशहरी
Kulliyat-e-Sahbai
दीन दयाल सिंह शातिर देहलवी
ग़ुंचा-ए-ख़ातिर
काव्य संग्रह
Ghuncha-e-Khatir
शाइरी
वो ख़ुदा हो कि नाख़ुदा ऐ 'दिल'डूबना है तो सोचता क्या है
कितना हसीं था जुर्म-ए-ग़म-ए-दिल कि दो-जहाँदर पे हैं आज तक मिरे रंग-ए-क़ुबूल के
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवाऐ 'दिल' ये इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
भूल बैठे हूँ वो कहीं ऐ दिलआज क्यूँ इतने याद आए हैं
खेल समझे हो ऐ दिल जिसेज़िंदगी है तमाशा नहीं
ऐ 'दिल' बहुत ख़राब हैं हालात शहर केयाँ जिस किसी से बात करो मुख़्तसर करो
बन गई हुस्न-ए-तलब भी तो मुअ'म्मा ऐ 'दिल'दर्द माँगा था वो समझे कि दवा माँगी थी
ऐ 'दिल' इन्हें इदराक कहाँ नम्रतियों काजो कहते हैं पल भर में बयाबाँ से गुज़र जा
क्यों हवा हम को समझने लगी दुश्मन ऐ दिलहम दिए बेचते फिरते हैं सलाई तो नहीं
फ़ा’इलातुन का नशा जिन पे चढ़ा है ऐ दिलवो मेरे फ़न की सताइश नहीं करने वाले
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