आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "fart-e-alam"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "fart-e-alam"
ग़ज़ल
'सफ़ीर' अब तक तो रूदाद-ए-मोहब्बत ख़ाम है तेरी
अभी तो आँख भी फ़र्त-ए-अलम से नम नहीं होती
मोहम्मद अब्बास सफ़ीर
ग़ज़ल
दूर रह कर वतन की फ़ज़ा से जब भी अहबाब की याद आई
हिज्र में रह गया दिल तड़प कर आँख फ़र्त-ए-अलम से भर आई
मुहम्मद अय्यूब ज़ौक़ी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "fart-e-alam"
अन्य परिणाम "fart-e-alam"
नज़्म
उर्दू
ये मुमकिन है कि क़ौमों को मिटा दे गर्दिश-ए-आलम
मगर कोई मिटा सकता नहीं उर्दू की अज़्मत को
अलम मुज़फ़्फ़र नगरी
ग़ज़ल
फ़र्त-ए-ग़म-ओ-अलम से जब दिल हुआ है गिर्यां
उस ने इनायतों के दरिया बहा दिए हैं
वहशत रज़ा अली कलकत्वी
ग़ज़ल
'अलम’ रब्त-ए-दिल-ओ-पैकाँ अब इस आलम को पहुँचा है
कि हम पैकाँ को दिल दिल को कभी पैकाँ समझते हैं