aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "gard-e-malaal"
चेहरे पे सारे शहर के गर्द-ए-मलाल हैजो दिल का हाल है वही दिल्ली का हाल है
छटी है राह से गर्द-ए-मलाल मेरे लिएकि झूमती है हवा डाल डाल मेरे लिए
जबीन-ए-शौक़ पे गर्द-ए-मलाल चाहती हैमिरी हयात सफ़र का मआल चाहती है
सर पे डाले हुए वो गर्द-ए-मलाल आता हैजब उसे मेरी वफ़ाओं का ख़याल आता है
गर्द-ए-मलालگرد ملال
cloud of regret
Gard-e-Malal
हमीद नसीम
रुख़ पे गर्द-ए-मलाल थी क्या थीहासिल-ए-माह-ओ-साल थी क्या थी
मिरे लोग ख़ेमा-ए-सब्र में मिरे शहर गर्द-ए-मलाल मेंअभी कितना वक़्त है ऐ ख़ुदा इन उदासियों के ज़वाल में
एक दम हो रौशनी तो क्या नज़र आए 'मलाल'क्या समझ पाऊँ जो सब कुछ ना-गहाँ मालूम हो
जहान-ए-कोहना अज़ल से था यूँ तो गर्द-आलूदकुछ हम ने ख़ाक उड़ा कर यहाँ ग़ुबार किया
अहल-ए-दरबार से बेज़ार था इक तू ही 'मलाल'अब तिरा सर भी वहाँ सुनते हैं ख़म है ग़म है
उसे कैसे याद न आए तू ज़रा सोच तोकि 'मलाल' जिस से तिरा बदल नहीं भूलता
थी ग़ैर सुब्ह-ओ-मसा बिन तिरे मिरी हालतमलूल शब से दिनों से गिला-गुज़ार था मैं
उस के मरने से थोड़ी ना क़द्र-ए-हुस्न घटेगीबा'द 'मलाल' के और सँवरना दिल छोटा मत करना
दफ़्तर हो क़ुर्ब-ए-दोस्त हो या महफ़िल-ए-सुख़नतन्हा हर एक बज़्म में पाया 'मलाल' को
सख़्त ज़मीं-परस्त थे अहद-ए-वफ़ा के पासदारउड़ के बुलंदियों में हम गर्द-ए-मलाल हो गए
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