आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "ghazal majrooh sultanpuri ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "ghazal majrooh sultanpuri ebooks"
ग़ज़ल
यूँ तो आपस में बिगड़ते हैं ख़फ़ा होते हैं
मिलने वाले कहीं उल्फ़त में जुदा होते हैं
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
हमारे बा'द अब महफ़िल में अफ़्साने बयाँ होंगे
बहारें हम को ढूँढेंगी न जाने हम कहाँ होंगे
मजरूह सुल्तानपुरी
पृष्ठ के संबंधित परिणाम "ghazal majrooh sultanpuri ebooks"
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "ghazal majrooh sultanpuri ebooks"
अन्य परिणाम "ghazal majrooh sultanpuri ebooks"
ग़ज़ल
जब हुआ इरफ़ाँ तो ग़म आराम-ए-जाँ बनता गया
सोज़-ए-जानाँ दिल में सोज़-ए-दीगराँ बनता गया
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
दूर दूर मुझ से वो इस तरह ख़िरामाँ है
हर क़दम है नक़्श-ए-दिल हर निगह रग-ए-जाँ है
मजरूह सुल्तानपुरी
ग़ज़ल
ये रुके रुके से आँसू ये दबी दबी सी आहें
यूँही कब तलक ख़ुदाया ग़म-ए-ज़िंदगी निबाहें