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बच्चों की कहानी
गुल अफ़शाँ
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ग़ज़ल
ला'लीँ लबों से अब वो गुल-अफ़शाँ हुए तो हैं
फ़िरदौस-ए-गोश-ओ-लुत्फ़-ए-दिल-ओ-जाँ हुए तो हैं
इनाम थानवी
ग़ज़ल
है किसी के लब-ए-रंगीं से गुल-अफ़शाँ होना
लोग कहते हैं जिसे फ़स्ल-ए-बहाराँ होना
सईदुल हक़ सईद इटावी
ग़ज़ल
देख तूफ़ान-ए-गुल-अफ़्शाँ की फ़ज़ा देख 'ज़ुहैब'
जिस की आमद से खुले हैं लब-ए-गुलफ़ाम तमाम
ज़ोहेब आज़मी
ग़ज़ल
हम ने बहार-ए-रफ़्ता की तस्वीर के लिए
शाख़-ए-मिज़ा को शाख़-ए-गुल-अफ़्शाँ बना लिया
अब्दुल अज़ीज़ फ़ितरत
शेर
अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-दर्द नहीं है
आया हूँ जो उस बज़्म-ए-गुल-अफ़्शाँ से गुज़र के
अली जवाद ज़ैदी
ग़ज़ल
अब दर्द में वो कैफ़ियत-ए-दर्द नहीं है
आया हूँ जो उस बज़्म-ए-गुल-अफ़्शाँ से गुज़र के