aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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अच्छा किया था तुम ने झटक कर हमारा हाथवर्ना पकड़ता कौन लपक कर हमारा हाथ
कितने हाथ सवाली हैंकितनी जेबें ख़ाली हैं
जैसे हों नक़ब-कारी के आलात मिरे हाथदस्तक से उलझते रहे कल रात मिरे हाथ
कई क़ुबूल इक उस की नहीं से निकलेंगेकुछ आसमान तो यारों ज़मीं से निकलेंगे
तुम्हारी होशियारी छीन लेगाबहुत कुछ ये मदारी छीन लेगा
काँटे रुस्वाई के हटा देनाफिर हमें प्यार से सज़ा देना
पाँव फँसे में हाथ छुड़ाने आया थातुम से मिल कर वापस जाने आया था
बे-असर बे-समर तिरा मिलनासिर्फ़ तस्वीर-भर तिरा मिलना
रात काटी है जाग कर बाबादिन गुज़ारा है दार पर बाबा
डूबते वक़्त जो कुछ हाथ में गौहर आएसब के सब नाख़ुदा के हाथ में हम धर आए
वही उन की सतीज़ा-कारी हैवही बेचारगी हमारी है
पहले आना-कानी करफिर प्यारे मन-मानी कर
दुश्मन-ए-जाँ कई क़बीले हुएफिर भी ख़ुशबू के हाथ पीले हुए
'असर' कीजिए क्या किधर जाइएमगर आप ही से गुज़र जाइए
जब भी मिलने के ज़माने आएबद-गुमानी में सुलगते आए
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