aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
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कभी न मेरे क़लम की गिरफ़्त में आएये भागते हुए लम्हे ये दौड़ते साए
रुख़ पे गर्द-ए-मलाल थी क्या थीहासिल-ए-माह-ओ-साल थी क्या थी
वही हैं क़त्ल-ओ-ग़ारत और वही कोहराम है साक़ीतमद्दुन और मज़हब की ये ख़ूनी शाम है साक़ी
सर-ता-ब-क़दम हासिल-ए-'उन्वान-ए-ग़ज़ल होतुम मेरे लिए मतला'-ए-दीवान-ए-ग़ज़ल हो
क़ियाम-ए-आलम-ए-फ़ानी नहीं क़ियाम अभीबशर कि इस पे है मसरूफ़-ए-एहतिमाम अभी
Hasil-e-Kalam
उमर अंसारी
क़ुलिर्रूहो मिन अम्र-ए-रब्बीउन लोगों से जो ये समझते हैं कि हर बात लफ़्ज़ से शुरूअ' होती है
काम आसाँ नज़र आया मुझे मुश्किल हो करहासिल-ए-उम्र मिला हसरत-ए-हासिल हो कर
बढ़ के लेना है हमें जुरअ'त-ए-ईसार से कामहाइल-ए-राह-ए-जुनूद-ए-ग़म-ओ-आज़ार सही
साया-ए-बे-अमाँ से क्या हासिलज़िंदगी इस जहाँ से क्या हासिल
काम जो उम्र-ए-रवाँ का है उसे करने देमेरी आँखों में सदा तुझ को हसीं रहना है
हासिल-ए-'अर्ज़-ए-मुद्द'आ क्या थासंग-दिल पे असर हुआ क्या था
हासिल-ए-उम्र-ए-रवाँ वो एक पलजिस में था पहली नज़र का रूप छल
जिसे 'इश्क़-ए-शाह-ए-उमम हो गयावो दिल और भी मोहतरम हो गया
इक मसाफ़त पाँव शल करती हुई सी ख़्वाब मेंइक सफ़र गहरा मुसलसल ज़र्दी-ए-महताब में
हस्ती को मिरी मस्ती-ए-पैमाना बना देऐ बे-ख़बरी हासिल-ए-मय-ख़ाना बना दे
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