आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "itr-e-ambar"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "itr-e-ambar"
नज़्म
दीवाली की शाम
इत्र-ओ-अंबर से हवा है किस क़दर महकी हुई
ख़ुशनुमा महताबियों से है फ़ज़ा दहकी हुई
मोहम्मद सिद्दीक़ मुस्लिम
नज़्म
मज़दूर औरतें
तू और इत्र ओ अम्बर ओ मुश्क ओ अबीर ओ ऊद
मज़दूर के भी ख़ून की आती है इस में बू
जाँ निसार अख़्तर
ग़ज़ल
अगर उस ज़ुल्फ़-मुश्क-आमेज़ से चुन्नी में बाल आवे
अजब मैं इत्र-ओ-अंबर कासा-ए-नग़फ़ूर से टपके
आरिफ़ुद्दीन आजिज़
ग़ज़ल
है किस के ज़ुल्फ़ का सौदा तुझे ऐ इश्क़ बतला दे
हमेशा इत्र-ए-अम्बर की सी बू आती है तुझ ख़ू में
इश्क़ औरंगाबादी
ग़ज़ल
अगर उस ज़ुल्फ़-मुश्क-आमेज़ सें चीनी में बाल आवे
अजब नें इत्र-ए-अम्बर कासा-ए-फ़ग़्फ़ूर सें टपके
आरिफ़ुद्दीन आजिज़
शब्दकोश से सम्बंधित परिणाम
अन्य परिणाम "itr-e-ambar"
ग़ज़ल
ख़्वाहिश है मिरा रक़्स-ए-जुनूँ देखे ज़माना
और उस की है तंबीह तमाशा नहीं करना
ख़ुर्शीद अम्बर प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
बा-कमाल थे 'अम्बर' फिर भी हम रहे गुमनाम
बे-हुनर के हिस्से में सैकड़ों ख़िताब आए
ख़ुर्शीद अम्बर प्रतापगढ़ी
ग़ज़ल
शुआएँ निकलती हैं शे'रों से 'अम्बर'
चढ़ाते हो लफ़्ज़ों पे तुम आब-ए-ज़र क्या