aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "jalva-e-aaftaab"
दिल-ए-ज़र्रा ज़र्रा है तूर-ए-तजल्लीज़हे जल्वा-ए-आफ़्ताब-ए-मोहब्बत
दिल में थे लाख वसवसे जल्वा-ए-आफ़्ताब तकरह गई थी जो तीरगी नूर-ए-सहर के बाद भी
जमाल-ओ-हुस्न के पहलू की धूप है दरकारऐ 'आफ़्ताब'-ए-तमन्ना न कर निराश मुझे
मफ़र नहीं ग़म-ए-दुनिया से 'आफ़्ताब-हुसैन'बहुत कठिन है ये मंज़िल मगर ज़रूरी है
नहीं है ताब-ए-नज़ारा ही 'आफ़्ताब' हुसैनवगरना दहर में क्या क्या है देखने के लिए
जल्वा-ए-आफ़्ताबجلوۂ آفتاب
appearance of Sun
Masnawi Jalwa-e-Akhtar
मोह्सिन्नुल मुल्क
मसनवी
मसनवी जलवा-ए-अख़्तर
मीर अली ख़ान
Jalwa-e-Tauheed
हकीम सय्यद ज़ाकिर हुसैन अख़्तर
कभी खिलो भी ये क्या है कि 'आफ़्ताब-हुसैन'पड़े रहो यूँही घर पर किसी के आओ न जाओ
वो 'आफ़्ताब' लब-ए-बाम भी उतर आएमगर किसी में उसे देखने की ताब तो हो
ग़म-ए-जहाँ के झमेलों में आफ़्ताब 'हुसैन'ख़याल-ए-यार की आसूदगी ग़नीमत है
किन मंज़रों में मुझ को महकना था 'आफ़्ताब'किस रेगज़ार पर हूँ मैं आ कर खिला हुआ
टकराओ जा के सुब्ह के साग़र से 'आफ़्ताब'दिल का ये जाम वादा-ए-शब से भरा हुआ
न तुम को फ़र्क़ है मालूम इश्क़-ओ-आतिश काजो 'आफ़्ताब' से नज़रें मिला रही हो तुम
सुनो बग़ौर किसी रोज़ 'आफ़्ताब'-ए-सुख़नवो शायरी के तक़द्दुस का ए'तिबार बना
ज़मीन-ए-इश्क़ पे उतरा है 'आफ़्ताब' सदासो बाज़ुओं में यही हिद्दतें दबोच अभी
कितना रौशन तिरा शबाब हुआजल्वा मानिंद-ए-आफ़्ताब हुआ
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