आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "kahat kabeer harishankar parsai ebooks"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "kahat kabeer harishankar parsai ebooks"
ग़ज़ल
मैं जानता हूँ कौन हूँ मैं और क्या हूँ मैं
दुनिया समझ रही है कि इक पारसा हूँ मैं
अब्दुल रहमान ख़ान वस्फ़ी बहराईची
अन्य परिणाम "kahat kabeer harishankar parsai ebooks"
नज़्म
नुक्ता-फ़रसाई
हर कोई काफ़िर-गरों में नफ़रा-ओ-नम्माम है
मेरी आँखें देखती हैं उन का जो अंजाम है
शोरिश काश्मीरी
ग़ज़ल
पता मिलता नहीं दिल का कहाँ जिंस-ए-गिराँ रख दी
इसी से ज़िंदगानी थी ये शय हम ने कहाँ रख दी
शेर सिंह नाज़ देहलवी
ग़ज़ल
लाएक़ वफ़ा के ख़ल्क़ ओ सज़ा-ए-जफ़ा हूँ मैं
जितने हैं याँ सो नेक हैं जो कुछ बुरा हूँ मैं
क़ाएम चाँदपुरी
ग़ज़ल
यही मेआ'र अब दुनिया में सुब्ह-ओ-शाम ठहरा है
हवा के साथ चलना ज़िंदगी का काम ठहरा है
सिद्दीक़ फतहपुरी
ग़ज़ल
ये काफ़िर बुत जिन्हें दावा है दुनिया में ख़ुदाई का
मिलें महशर में मुझ आसी को सदक़ा किबरियाई का
रियाज़ ख़ैराबादी
ग़ज़ल
बन के किस शान से बैठा सर-ए-मिंबर वाइ'ज़
नख़वत-ओ-उज्ब हयूला है तो पैकर वाइ'ज़
मोहम्मद ज़करिय्या ख़ान
ग़ज़ल
न मुरव्वत है न उल्फ़त न वफ़ा मेरे बा'द
मेरा सरमाया भी दुनिया से उठा मेरे बा'द