aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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मेरे टूटे हौसले के पर निकलते देख करउस ने दीवारों को अपनी और ऊँचा कर दिया
रौशनाई के पास बैठा हैकोरा काग़ज़ उदास बैठा है
जब फ़रिश्तों के पर निकल आएआसमाँ की जबीं पे बल आए
कहीं ज़मीन के पार और आसमान के पारपरिंदे ढूँड रहे हैं घर इस जहान के पार
लड़की के पासएक किताब है और
आधुनिक उर्दू नज़्म के संस्थापकों में शामिल। अग्रणी फ़िल्म-संवाद लेखक। फ़िल्म ' वक़्त ' और ' क़ानून ' के संवादों के लिए मशहूर।
की-पैडکی پیڈ
key pad
Babool Ke Ped
सटेन्ले कारनाऊ
आत्मकथा
Aag Ke Pas Baithi Aurat
इक़बाल मजीद
अफ़साना
Chand Ke Paar
कैफ़ भोपाली
काव्य संग्रह
Aawaz Ke Par Khulte Hain
अज़ीज़ नबील
ग़ज़ल
सांसों के पार
ख़लील मामून
सुर्ख़ाब के पर
शैख़ रहमान अकोलवी
Sarhad Ke Par Sooraj Se Pare
हारुकी मुराकामी
नॉवेल / उपन्यास
Nadi Ke Paar Ka Manzar
हयात लखनवी
Islam ka Falsafa-e-Siyasiyat
माजिद अली ख़ान
इस्लामियात
Ghazipur Sir Syed Ahmad Khan Ke Pas Manzar Mein
ओबैदुर रहमान सिद्दीक़ी
Laxman Rekha Ke Paar
क़ाज़ी मुश्ताक़ अहमद
कि़स्सा / दास्तान
Furat Ke Pas
अली मुख़तार मुबारकपूरी
मर्सिया
Ufaq Ke Paar
मीनू बख़्शी
Chand Ke Par
Aangan Aangan Dukh Ke Ped
सुलैमान अतहर जावेद
वक़्त के पास हैं कुछ तस्वीरेंकोई डूबा है कि उभरा देखो
उम्मीदों के पंछी के पर निकलेंगेमेरे बच्चे मुझ से बेहतर निकलेंगे
मौजों से लिपट के पार उतरने वालेतूफ़ान-ए-बला से नहीं डरने वाले
समझ पाए जो ख़ुद के पार आएतिरी दुनिया में हम बेकार आए
नदी के पार उजाला दिखाई देता हैमुझे ये ख़्वाब हमेशा दिखाई देता है
हैं बहुत काम ज़िंदगी के पासनहीं रुकना है बस मुझी के पास
बिना मुर्ग़े के पर झटकती हैंमुर्ग़ियाँ दर-ब-दर भटकती हैं
जगमगाती रौशनी के पार क्या था देखतेधूल का तूफ़ाँ अंधेरे बो रहा था देखते
ख़ुदा के पास क्या जाएँगे ज़ाहिदगुनाह-गारों से जब ये बार पाएँ
कान के पास से निकली गोलीज़ह्न के अन्दर ठहर गई है
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