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ग़ज़ल
जवाब इस का सही देगा कोई तो इस को खोलूँगा
बना कर एक गठरी मैं ने रखी है सवालों की
अर्पित शर्मा अर्पित
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ग़ज़ल
मैं रात का भेद तो खोलूँगा जब नींद न मुझ को आएगी
क्यूँ चाँद सितारे आते हैं हर रात मुझे समझाने को