aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "madd-e-muqaabil"
ज़माने अब तिरे मद्द-ए-मुक़ाबिलकोई कमज़ोर सी औरत नहीं है
आईने मद्द-ए-मुक़ाबिल हो गएदरमियाँ हम उन के हाइल हो गए
मिरे मद्द-ए-मुक़ाबिल तीर ख़ंजर और भाले हैंमगर ऐसे कई भाले मिरे दिल ने सँभाले हैं
हवा के मद्द-ए-मुक़ाबिल रहा किसी के लिएमैं वो दिया हूँ जो शब भर जला किसी के लिए
बे-हिसी रहती है जब मद्द-ए-मुक़ाबिल तन्हाज़िंदगी ढूँढती रह जाती है मंज़िल तन्हा
मद्द-ए-मुक़ाबिलمد مقابل
Adversary, Equal, Rival
Madh-o-Sana
मोहम्मद मिकाइल ज़ियाई
Nahj-ul-Balagha
सय्यद अन्सार हुसैन रिज़वी
Deewan-e-Zauq Ma Qasaid
शेख़ इब्राहीम ज़ौक़
शायरी
Mukammal Lughatul-Quran Ma Fahrist-e-Alfaz
अब्दुर्रशीद नोमानी
Mukammal Deewan-e-Ghalib Ma Sharh (Nawa-e-Sarosh)
ग़ुलाम रसूल मेहर
Urdu-e-Mualla Mukammal
मिर्ज़ा ग़ालिब
पत्र
जब कभी मद्द-ए-मुक़ाबिल वो रुख़-ए-ज़ेबा हुआआईना भी रह गया हैरत से मुँह तकता हुआ
सब मद्द-ए-मुक़ाबिल थेख़ुसरव था कि जम जो था
हर जब्र के मद्द-ए-मुक़ाबिल हैसरमस्त अज़ल आज़ाद
मेरे मद्द-ए-मुक़ाबिल था वोकमरे में ये कैसे आया
बहादुर हूँ मैं दुनिया में अकेलामिरा मद्द-ए-मुक़ाबिल कौन होगा
लोग पत्थर की तरफ़ राग़िब हुएआइना मद्द-ए-मुक़ाबिल क्या हुआ
मगर कुछ भी करोमद्द-ए-नज़र रखना कि हम मद्द-ए-मुक़ाबिल हैं
कौन था मद्द-ए-मुक़ाबिल 'बाक़ी'ख़ुद पे ही वार पड़ा है अपना
फ़क़त मैं हूँ तिरे मद्द-ए-मुक़ाबिलमिरे पीछे मिरा लश्कर नहीं है
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