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ग़ज़ल
ज़माँ मकाँ है फ़क़त मद्द-ओ-जज़्र-ए-जोश-ए-हयात
बस एक मौज की हैं झलकियाँ क़रार-ओ-सबात
फ़िराक़ गोरखपुरी
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नज़्म
तर्ज़-ए-नौ की शाएरी
तर्ज़-ए-नौ की शाएरी में मद्द-ओ-जज़्र-ए-बहर-ए-शेर
उफ़ ग़ज़ब
सय्यद मोहम्मद जाफ़री
ग़ज़ल
मद्द-ओ-जज़्र-ए-बहर-ए-हस्ती कोई दम की बात है
दामन-ए-साहिल में गुम हो जाएँगी तुग़्यानियाँ
ऋषि पटियालवी
ग़ज़ल
मैं खोना चाहता हूँ मद्द-ओ-जज़्र-ए-बहर में 'शौकत'
वो साहिल-आश्ना कश्ती का मेरी ना-ख़ुदा क्यूँ हो
शौकत थानवी
ग़ज़ल
मैं मद्द-ओ-जज़्र-ए-तख़य्युल को उस के नाम करूँ
कि जिस का ज़िक्र हमेशा मिरे दरूद में था