आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "markaz-e-khitaab"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "markaz-e-khitaab"
ग़ज़ल
'मरकज़'-ए-जुमला-काएनात मज़हर-ए-ज़ात-ए-किब्रिया
तेरे सिवा नहीं हुआ बहर-ए-ख़ुदा तू कौन है
यासीन अली ख़ाँ मरकज़
ग़ज़ल
यासीन अली ख़ाँ मरकज़
अन्य परिणाम "markaz-e-khitaab"
ग़ज़ल
जुमला अदवार ओ शयूनात से जल्वा करते
शान-ए-'मरकज़' में वो सुबहान बने बैठे हैं
यासीन अली ख़ाँ मरकज़
ग़ज़ल
पूछा ख़िताब यार से किस तरह कीजिए शाम-ए-वस्ल
चुपके से अंदलीब ने फूल से कुछ कहा कि यूँ
एस ए मेहदी
ग़ज़ल
मर्कज़-ए-दीदा-ए-ख़ुबान-ए-जहाँ हैं भी तो क्या
एक निस्बत भी तो रखते हैं तिरी ज़ात से हम
जाँ निसार अख़्तर
नज़्म
इशरत-ए-तन्हाई
मैं हमा-शौक़-ओ-मोहब्बत वो हमा-लुत्फ़-ओ-करम
मरकज़-ए-मर्हमत-ए-महफ़िल-ए-ख़ूबाँ हूँ मैं
असरार-उल-हक़ मजाज़
ग़ज़ल
महसूर-ए-ग़म हूँ नुक़्ता-ए-परकार की तरह
मैं मरकज़-ए-मज़ालिम-ए-अर्बाब-ए-कीं रहा