aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "murda-khor"
इक ज़रा सी गंध क्या पाई कि मंडराने लगींकुछ तमन्नाएँ हैं मुर्दा-ख़ोर चीलों की तरह
दम-ब-दम ग़ोता लगाते मेरी ओरदम-ब-दम मुझ पे झपटते मुर्दा-ख़ोर
क्या उस हराम-ख़ोर को जुज़ मुर्दा है नसीबआया न मुँह में गोर के लुक़्मा हलाल का
लग चुका है अब हमें अपने लहू का ज़ाइक़ाशहर-ए-मर्दुम-ख़ोर में मुर्दा ग़लत ज़िंदा ग़लत
नारी और शूदर को समान समझने वाले महा-पुरुषइतिहास के पन्नों में खो गए हैं
Murda Khor
हुमायूँ इक़बाल
जासूसी
नीम-जाँ बेहाल मुर्दाखो चुका है
मगर तंग-नज़रमटियाले तालाब में
जिन कोमुरदार-ख़ोर पेट भरे जानवर
क्या मिला अर्ज़-ए-मुद्दआ कर केबात भी खोई इल्तिजा कर के
बाक़ी रहा मुद्दआ' न दा'वा न दलीलखोए गए आप ही तो सब भर पाया
ग़म की काली चाँदनीपर्बतों की चोटियों पर सो गई है
मुझे आज फिरअपने पास से
हमीं खोए गए जब उन को पायाहुसूल-ए-मुद्द’आ किस काम आया
काग़ज़ पे फैले रंगों कीबे-रब्त लकीरों में ढूँडो
तन्हाई की क़ब्र से उठ कर मैं सड़कों पर खो जाता हूँचेहरों के गहरे सागर में मुर्दा आँखें फेंक आता हूँ
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