आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "murshid-e-mugaa.n"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "murshid-e-mugaa.n"
ग़ज़ल
मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से
कि मिला जमाल-ए-साक़ी को ये तनतना कहाँ से
अब्दुल मजीद सालिक
शेर
मिरे दिल में है कि पूछूँ कभी मुर्शिद-ए-मुग़ाँ से
कि मिला जमाल-ए-साक़ी को ये तनतना कहाँ से
अब्दुल मजीद सालिक
पुस्तकें के संबंधित परिणाम "murshid-e-mugaa.n"
अन्य परिणाम "murshid-e-mugaa.n"
ग़ज़ल
याँ बादा-ए-अहमर के छलकते हैं जो साग़र
ऐ पीर-ए-मुग़ाँ देख कि है सारी दुकाँ सुर्ख़
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
नज़्म
हयात
इक जाम में जो जल्वा-ए-कौन-ओ-मकाँ न हो
ज़ाहिद मुरीद-ए-हज़रत-ए-पीर-ए-मुग़ाँ न हो
नूर लुधियानवी
ग़ज़ल
बज़्म-ए-दोशीं को करो याद कि इस का हर रिंद
रौनक़-ए-बार-गह-ए-पीर-ए-मुग़ाँ गुज़रा है
अब्दुल मजीद सालिक
ग़ज़ल
वो मय दे दे जो पहले शिबली ओ मंसूर को दी थी
तो 'बेदम' भी निसार-ए-मुर्शिद-ए-मय-ख़ाना हो जाए
बेदम शाह वारसी
ग़ज़ल
मैं ख़र्क़-ए-आदत-ए-पीर-ए-मुग़ाँ का क़ाएल हूँ
कि ब'अद-ए-ख़र्क़ किया इल्तियाम शीशे में