आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "parda-e-gosh"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "parda-e-gosh"
शेर
पर्दा-ए-गोश-ए-असीराँ न हुई इक शब-ए-गर्म
पाँव किस मुर्दे का या-रब मिरी ज़ंजीर में था
मुसहफ़ी ग़ुलाम हमदानी
शेर
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
ऐसे पस-मंज़र में क्या रहना सर-ए-मंज़र तो आ
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
ग़ज़ल
तू है मअ'नी पर्दा-ए-अल्फ़ाज़ से बाहर तो आ
ऐसे पस-मंज़र में क्या रहना सर-ए-मंज़र तो आ
फ़ज़ा इब्न-ए-फ़ैज़ी
अन्य परिणाम "parda-e-gosh"
ग़ज़ल
नहीं तर्जुमान-ए-बयाँ कोई जो है पर्दा-दार-ए-सुकूत है
हैं ये दाग़ दाग़ इबारतें बड़े एहतिमाल के दरमियाँ
बद्र-ए-आलम ख़लिश
ग़ज़ल
ब-ज़ाहिर उस के लबों पर हँसी रही लेकिन
दम-ए-विदाअ' वो दर-पर्दा बे-क़रार भी था
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
हालत-ए-क़ल्ब सर-ए-बज़्म बताऊँ क्यूँकर
पर्दा-ए-दिल में है इक पर्दा-नशीं का लालच
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
खुले किस तरह पर्दा पर्दा-ए-गोश-ए-तहय्युर पर
कि बे-सौत-ओ-सदा है पर्दा साज़-ए-बज़्म-ए-वहदत का
बयान मेरठी
ग़ज़ल
बे-पर्दा आज निकलेगा पर्दा-नशीं मिरा
कर दे ये कोई महर-ए-मुनव्वर को इत्तिलाअ
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
लुत्फ़ आए जो शब-ए-वस्ल मोअज़्ज़िन सो जाए
क्यूँकि वो गोश-बर-आवाज़ नज़र आते हैं
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
ग़ज़ल
हवा में जब उड़ा पर्दा तो इक बिजली सी कौंदी थी
ख़ुदा जाने तुम्हारा परतव-ए-रुख़्सार था क्या था
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
शेर
हवा में जब उड़ा पर्दा तो इक बिजली सी कौंदी थी
ख़ुदा जाने तुम्हारा परतव-ए-रुख़्सार था क्या था