aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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है सख़्त मुश्किल में जान साक़ी पिलाए आख़िर किधर से पहलेसभी की आँखें ये कह रही हैं इधर से पहले इधर से पहले
आते आते किधर गई ख़ुशबूरास्ते में बिखर गई ख़ुशबू
जाने किधर के लोग थे जाने किधर गएवा'दे किए थे जितने सभी से मुकर गए
तमाम तारों को जैसे क़मर से जोड़ा हैमिरी जबीं को तिरे संग-ए-दर से जोड़ा है
दिल में हमारे झट से सनम तुम उतर गएशाख़ों पे दिल की पत्ते भी सारे निखर गए
Rafi Ahmed Qidwai Aur Unka Ahd
अजीत प्रसाद जैन सहारनपुरी
जीवनी
रफ़ी अहमद क़िदवाई
मोहम्मद हाशिम केदवाई
Rafi Ahmad Qidwai
गद्द्य
Rafi Ahmad Qidwai Hayat Aur Karname
क़मर महमूद
आहिस्ता-ख़िरामी सही आ जाए तो बेहतरआँखों में कोई मेरे समा जाए तो बेहतर
रात फिर जानिब-ए-सहर आईकितनी दुश्वार रहगुज़र आई
टूट गया हवा का ज़ोर सैल-ए-बला उतर गयासंग-ओ-कुलूख़ रह गए लहर गई भँवर गया
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