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शेर
ताजवर नजीबाबादी
ग़ज़ल
ताजवर नजीबाबादी
नज़्म
वतन
ऐ कि ख़्वाबीदा तिरी ख़ाक में शाहाना वक़ार
ऐ कि हर ख़ार तिरा रू-कश-ए-सद-रू-ए-निगार
जोश मलीहाबादी
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ग़ज़ल
ज़र्रे ज़र्रे में नज़र आती है तस्वीर-ए-सनम
सर-ब-सर रू-कश-ए-सद-दैर-ओ-हरम है हम को
दत्तात्रिया कैफ़ी
ग़ज़ल
है रू-कश-ए-आफ़्ताब ज़र्रा बग़ैर पर्दा बिला-वसीला
वहाँ लगाई है आँख दिल ने जहाँ मजाल-ए-नज़र नहीं है
नातिक़ लखनवी
ग़ज़ल
रुतबा-ए-आली हमारे दाग़-ए-दिल का देखिए
रू-कश-ए-ख़ुर्शीद भी रश्क-ए-मह-ए-ताबाँ भी है
बेदिल अज़ीमाबादी
ग़ज़ल
काश दिल-ए-सद-चाक ये बन कर बेचने वाला फूलों का
कू-ए-बुताँ में जा के पुकारे लो कोई गजरा फूलों का
शाह नसीर
ग़ज़ल
ये दिल है क़तरा-ए-ख़ूँ से भी कम अल्लाह री जुरअत
हुआ है तिसपे रू-कश उस ख़दंग अंदाज़ मिज़्गाँ का
ममनून निज़ामुद्दीन
ग़ज़ल
निगाह-ए-गर्म से उस की दिल-ए-बेताब रू-कश है
हरीफ़ आख़िर हुआ ये पारा-ए-सीमाब आतिश का