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ग़ज़ल
शेर-ख़्वानी पे तिरी सब को गुमाँ है कि 'जलील'
बज़्म में रूह-ए-अमीरु-श्शुअ'रा आई है
जलील मानिकपूरी
ग़ज़ल
मोहम्मद अमीर आज़म क़ुरैशी
समस्त
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नज़्म
हेलो बेस्ट फ्रेंड
जागती आँखों से कुछ ख़्वाब दिखाए तुम ने
राह-ए-उम्मीद पे सब नक़्श बनाए तुम ने