aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "samundar-kashii"
क़तरे वो कुछ भी पाएँ ये मुमकिन नहीं 'वसीम'बढ़ना जो चाहते हैं समुंदर-कशी के साथ
मगरसमुंदर कभी ख़ुश्क होता नहीं
अक्सरतुम्हारे जाने के बा'द
ज़मीं अब चलते चलते थक चुकी हैसमुंदर ख़ुश्क होता जा रहा है
कभी वो मौज समुंदरकभी वो सूरज ढलते
समुंदर-कशीسمندر کشی
drawing from sea
Kashti Mein Samundar
इक़बाल ख़लिश
आसमान में चंदा चमकेबीच समुंदर कश्ती तैरे
इश्क़ ने बरबाद कर दी ज़िंदगी हाए रे इश्क़कम हुई फिर भी न उस की दिल-कशी हाए रे इश्क़
मय-कशी तो क्या बुझा पाएगी मेरी तिश्नगीदीजिए मुझ को समुंदर प्यास का सहरा हूँ मैं
हिला के रख दिया मौजों की सर-कशी ने उसेउलझता बूढ़ा समुंदर कहाँ जवानियों से
कई ज़ख़्म अब तक सँभाले हुए हैंक़लंदर के सीने पे छाले हुए हैं
ज़र्रों का मेहर-ओ-माह से याराना चाहिएबे-नूरियों को नूर से चमकाना चाहिए
अपने आँसू सँभाल कर रखनाइक समुंदर कभी बनाएँगे
ज़मीन गर्दिश में हैऔर दुनिया सफ़र में
जुनून-ए-शौक़-ए-मोहब्बत की आगही देनाख़ुदी भी जिस पे हो क़ुर्बां वो बे-ख़ुदी देना
बस हर इक रात यही जुर्म किया है मैं नेला के ख़्वाबों में तुझे देख लिया है मैं ने
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