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नज़्म
'ग़ालिब'
ऐसा भरा हुआ है ग़ज़ल में सिंगार-रस
इक जन्नत-ए-समाअ' है फ़िरदौस-ए-गोश है
चंद्रभान कैफ़ी देहल्वी
ग़ज़ल
सीग़ा-ए-राज़ में है मक़्सद-ए-तख़्लीक़ का राज़
ला-मकाँ तक है कहाँ मुर्ग़-ए-ख़िरद की परवाज़
सरफ़राज़ बज़्मी
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si.ngaar-ras
सिंगार-रसسِنگار رَس
श्रींगार-रस, साहित्य शास्त्र के ९ रसों में पहला रस, हिन्दी काव्य का एक प्रकार जिसमें औरत-ओ-मर्द के मिलन का विवरण लिखा जाये, आशिक़ाना नज़म
raam-sii.nghaa
राम-सींघाرام سِینگھا
एक बड़ा सींग जिसमें से बहुत ऊँची आवाज़ निकलती है
ran-si.nghaar
रन-सिंघारرَن سِنگھار
लड़ाई का बिगुल
ran-singaar
रन-सिंगारرَن سِن٘گار
(سف بازی) حریف کے جسم کے مختلف حصوں پر بے دربے لگائی جانے والی تلوار کی بارہ ضربی ایک گھائی جس میں ہر ضرب پر جوابی ضرب لگائی جاتی ہے
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ग़ज़ल
मियाँ हम तो क़लंदर हैं हमारा हाल मत पूछो
हमारे सीने में कितने ही संगम रक़्स करते हैं
निर्मल नदीम
ग़ज़ल
कैसी कैसी राह में दीवारें करते हैं हाइल लोग
फिर भी मंज़िल पा लेते हैं हम जैसे ज़िंदा दिल लोग
आबिद अदीब
ग़ज़ल
मय-कशों के दौर में बैठे थे हम भी बा-नसीब
अब तो ख़ाली हाथ में साक़ी के साग़र रह गया