आपकी खोज से संबंधित
परिणाम "sifaal-e-hind"
अत्यधिक संबंधित परिणाम "sifaal-e-hind"
नज़्म
जावेद के नाम
उठा न शीशागरान-ए-फ़रंग के एहसाँ
सिफ़ाल-ए-हिन्द से मीना ओ जाम पैदा कर
अल्लामा इक़बाल
नज़्म
गुलहा-ए-अक़ीदत
सरज़मीन-ए-हिन्द को जन्नत बनाने के लिए
कैसे कैसे दस्त-ओ-बाज़ू के शजर जाते रहे
सय्यदा शान-ए-मेराज
नज़्म
सुब्ह-ए-शब-ए-इंतिज़ार
फ़ज़ा महकने लगी दिल-नवाज़ फूलों से
दयार-ए-हिन्द में फ़स्ल-ए-बहार आ ही गई
सय्यदा शान-ए-मेराज
ग़ज़ल
भूले हैं अपने फ़र्ज़ को ये ख़्वाजगान-ए-हिन्द
हक़ देने में भी करते हैं इंकार आज-कल
परवीन उम्म-ए-मुश्ताक़
अन्य परिणाम "sifaal-e-hind"
ग़ज़ल
जाम-ए-सिफ़ाल-ओ-जाम-ए-जम कुछ भी तो हम न बन सके
और बिखर बिखर गए कूज़ा-गरों के दरमियाँ
रज़ी अख़्तर शौक़
नज़्म
दरबार1911
जामे से बाहर निगाह-ए-नाज़-ए-फ़त्ताहान-ए-हिन्द
हद्द-ए-क़ानूनी के अंदर ऑनरेबलों की क़तार
अकबर इलाहाबादी
ग़ज़ल
बहाता हूँ कहीं अपने सिफ़ाल-ए-बे-मुरक्कब को
मैं गिर्ये के दिनों में चाक-ए-दुनिया पर नहीं होता
अब्बास ताबिश
ग़ज़ल
सभी के हाथ में मिस्ल-ए-सिफ़ाल-ए-नम नहीं रहना
जो मिल जाए वही हो कूज़ा-गर ऐसा नहीं होता
अंबरीन हसीब अंबर
नज़्म
सदा ब-सहरा
नहीं तक़सीर-परवाज़-नज़र का कोई कफ़्फ़ारा
क़रार-ए-क़ल्ब-ज़ार-ए-हिंद वार-ए-बरनाई-ए-यूनाँ
शफ़ीक़ फातिमा शेरा
नज़्म
सद्र-ए-जमहूरिया-ए-हिन्द
सद्र-ए-जमहूरिया-ए-हिन्द
यक़ीनन आप फ़ख़रुद्दीन भी नाज़-ए-उमम भी हैं