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नज़्म
शफ़क़
जिस तरफ़ देखो ज़मीं ता-आसमाँ है सुर्ख़-पोश
इक ज़मीन-ओ-आसमाँ क्या कुल जहाँ है सुर्ख़-पोश
सफ़िया शमीम
ग़ज़ल
देखा तुझे जो ख़ून-ए-शहीदाँ से सुर्ख़-पोश
तुर्क-ए-फ़लक ज़मीं में ख़जालत से गड़ गया
हैदर अली आतिश
नज़्म
होली
वो सुर्ख़-पोश गुलिस्ताँ में रंग खेला है
गुल-ओ-समन पे है तुर्फ़ा निखार होली में
बिर्ज लाल रअना
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नज़्म
मैं हर तरफ़ हूँ हर तरफ़
मिरी निगाह की ख़ुनुक उदासियाँ हैं हर तरफ़
मिरे ख़याल की लकीर है वो रूद-ए-नूर