aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "taab-e-dil"
ताब-ए-दिल सर्फ़-ए-जुदाई हो चुकीया'नी ताक़त आज़माई हो चुकी
वो ख़ुदा हो कि नाख़ुदा ऐ 'दिल'डूबना है तो सोचता क्या है
कितना हसीं था जुर्म-ए-ग़म-ए-दिल कि दो-जहाँदर पे हैं आज तक मिरे रंग-ए-क़ुबूल के
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवाऐ 'दिल' ये इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
ताब-ए-दिलتاب دل
patience of heart
Khama-e-Dil
इबन-ए-अहमद ताब
काव्य संग्रह
Al-Qaraba Deen
हकीम मोहम्मद कबीरुद्दीन
तिब्ब-ए-यूनानी
Dilli Aur Tibb Unani
सय्यद ज़िल्लुर्रहमान
Luknat Aur Uska Elaj
मुंशी मोहम्मद दीन ख़लीक़
Nuqoosh-e-Dil
दिल ताज महली
Zakhm-e-Dil
Shumara Number-024
ताहा नसीम
Mar 2010मसाइल-ए-दीन दुनिया और तिब
Kulliyat-e-Dil
कुल्लियात
Qaraba Deen-e-Jadeed
सय्यद अलताफ़ अली बरेलवी
Tarjuma Urdu Qaraba Deen-e-Qadri
मोहम्म्द अकबर अरज़ानी
Qaraba Deen-e-Kabeer
सय्यद मोहम्मद हुसैन
Zaruriyat-e-Deen
फ़तेह मो. ताएब
Zarooriat-e-Deen
Zarooriyaat-e-Deen
इस्लामियात
भूल बैठे हूँ वो कहीं ऐ दिलआज क्यूँ इतने याद आए हैं
खेल समझे हो ऐ दिल जिसेज़िंदगी है तमाशा नहीं
ऐ 'दिल' इस बारगह-ए-हुस्न में हूँ जब से मुक़ीमइश्क़ शायद कि मिरी तब-ए-रवाँ रक़्स में है
ऐ 'दिल' बहुत ख़राब हैं हालात शहर केयाँ जिस किसी से बात करो मुख़्तसर करो
बन गई हुस्न-ए-तलब भी तो मुअ'म्मा ऐ 'दिल'दर्द माँगा था वो समझे कि दवा माँगी थी
ऐ 'दिल' इन्हें इदराक कहाँ नम्रतियों काजो कहते हैं पल भर में बयाबाँ से गुज़र जा
फ़ा’इलातुन का नशा जिन पे चढ़ा है ऐ दिलवो मेरे फ़न की सताइश नहीं करने वाले
क्यों हवा हम को समझने लगी दुश्मन ऐ दिलहम दिए बेचते फिरते हैं सलाई तो नहीं
और सब कुछ हो ज़माने को मुबारक ऐ 'दिल'याँ तो दामन में मोहम्मद के सिवा कुछ भी नहीं
इस शहर में तो कुछ नहीं रुस्वाई के सिवाऐ 'दिल' ये 'इश्क़ ले के किधर आ गया तुझे
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