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नज़्म
ए'तिराफ़
बात कहना नहीं आती मुझे लिखना नहीं आता
सत्र कहने का हुनर नज़्म बनाने का सलीक़ा
ख़ालिद अहमद
ग़ज़ल
बशीर 'बद्र' की ग़ज़लें सुना रहा था मैं
कल आसमाँ को ज़मीं पर बुला रहा था मैं
मोहसिन आफ़ताब केलापुरी
ग़ज़ल
निगाह-ओ-दिल का अफ़्साना क़रीब-ए-इख़्तिताम आया
हमें अब इस से क्या आई सहर या वक़्त-ए-शाम आया
आनंद नारायण मुल्ला
ग़ज़ल
घड़ी भर रंग निखरा सूरत-ए-गुल-हा-ए-तर मेरा
उसी हस्ती पे उस गुलशन में था ये शोर-ओ-शर मेरा
मोहम्मद यूसुफ़ रासिख़
समस्त