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ग़ज़ल
किसी की याद की ठंडी हवाएँ आज भी हैं पर
करें दिल को गुल-ओ-गुलज़ार ऐसा क्यूँ नहीं होता
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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किसी की याद की ठंडी हवाएँ आज भी हैं पर
करें दिल को गुल-ओ-गुलज़ार ऐसा क्यूँ नहीं होता
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