aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "zer-e-nazar"
ज़ेर-ए -निगरानी नय्यर
पर्काशक
मसअले ज़ेर-ए-नज़र कितने थेअहल-ए-दिल अहल-ए-हुनर कितने थे
यूँ तो है ज़ेर-ए-नज़र हर माजरा देखा हुआफिर नहीं देखा है वो रंग-ए-हवा देखा हुआ
ऐ 'नज़र' डर ख़िज़ाँ का घेरे हैजब कि शहर-ए-बहार में मैं हूँ
बारूद से न बच सका वो ख़ुद भी ऐ 'नज़र'ये खेल उस की मौत का सामान बन गया
हर क़दम पर साथ मेरे लग़्ज़िशों की भीड़ थीचश्म-ए-बालिग़ से उन्हें सर्फ़-ए-नज़र उस ने किया
ज़ेर-ए-नज़रزیر نظر
In view, under consideration
Zar-e-Kaamil Ayyaar
अबू नसर सर्राज तूसी
अनुवाद
Nazr-e-Mohammad Quli Qutub Shah
सय्यद मुहीउद्दीन क़ादरी ज़ोर
तलाश-ए-रिज़्क़ में खाते हैं धूल शहरों कीहुई थी शाम 'नज़र' हम भी घर गए होते
कौन पाएगा ताब-ए-नज़्ज़ाराउन की अबरू कमान होती है
उनवाँ हर आरज़ू का ब-शर्त-ए-नज़र हुआअफ़्साना ख़त्म सब का तिरे नाम पर हुआ
जिस जगह कि लुटते हैं क़ाफ़िले मोहब्बत केऐ 'नज़र' सुनो अपना उस जगह बसेरा है
ऐ 'नज़र' मोहब्बत में ग़म से हारना कैसाजिस तरह भी मुमकिन हो ज़िंदगी बितानी है
कोई तो आए नज़र ख़ून-ए-जिगर का लम्हाएक मिसरा तो कभी 'मीर' के जैसा लिख्खूँ
फ़क़ीह-ए-शहर से क़त-ए-नज़र कभी तो 'नज़र'तू मेरे अश्क की बे-हर्फ़ दास्ताँ में उतर
नाक़िदो इक नज़र इधर भी होदौर-ए-हाज़िर का बाब हूँ मैं भी
बैठे हो वही बात लिए आज 'नज़र' तुममाज़ी के शब-ओ-रोज़ भुला क्यों नहीं देते
लगता है इस ज़मीं के दिन आ गए हैं नज़दीकबालिग़-नज़र मिरी ये महसूस कर रही है
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