aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "कामयाबी"
कामयाबी की दुआएँ मुझे देने वालेमैं तिरे इश्क़ में नाकाम हुआ जाता हूँ
सिर्फ़ मेहनत क्या है 'अनवर' कामयाबी के लिएकोई ऊपर से भी टेलीफ़ोन होना चाहिए
है कामयाबी-ए-मर्दां में हाथ औरत कामगर तू एक ही औरत पे इंहिसार न कर
ना-कामी-ए-इश्क़ या कामयाबीदोनों का हासिल ख़ाना-ख़राबी
हाथ भर दूरी पे है क़िस्मत की चाबी आप कीएक छोटा सा क़दम और कामयाबी आप की
कुछ इस लिए भी मुझे कामयाबी मिलती हैमैं अपने बाबा के नक़्श-ए-क़दम पे चलती हूँ
ज़िंदगी जब अज़ाब होती हैआशिक़ी कामयाब होती है
वो जिस को मैं समझता रहा कामयाब दिनवो दिन था मेरी उम्र का सब से ख़राब दिन
'फ़ैज़' थी राह सर-ब-सर मंज़िलहम जहाँ पहुँचे कामयाब आए
चले चलिए कि चलना ही दलील-ए-कामरानी हैजो थक कर बैठ जाते हैं वो मंज़िल पा नहीं सकते
सुना रहा हूँ उन्हें झूट-मूट इक क़िस्साकि एक शख़्स मोहब्बत में कामयाब रहा
ये सच है रंग बदलता था वो हर इक लम्हामगर वही तो बहुत कामयाब चेहरा था
वो नज़र कामयाब हो के रहीदिल की बस्ती ख़राब हो के रही
देर तक साथ भीगे हम उस केहम ने यूँ कामयाब की बारिश
फिर वही जोहद-ए-मुसलसल फिर वही फ़िक्र-ए-मआशमंज़िल-ए-जानाँ से कोई कामयाब आया तो क्या
देखा तो ज़िंदगी में बहुत कामयाब थेसोचा तो जीत आई नज़र मात की तरह
मैं कामयाब-ए-दीद भी महरूम-ए-दीद भीजल्वों के इज़दिहाम ने हैराँ बना दिया
मैं ना-मुराद दिल की तसल्ली को क्या करूँमाना कि तेरे रुख़ से निगह कामयाब है
ठहर के तलवों से काँटे निकालने वालेये होश है तो जुनूँ कामयाब क्या होगा
मिरी क़ीमत को सुनते हैं तो गाहक लौट जाते हैंबहुत कमयाब हो जो शय वो होती है गिराँ अक्सर
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