aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "जमाना"
चुपके चुपके रात दिन आँसू बहाना याद हैहम को अब तक आशिक़ी का वो ज़माना याद है
हम को मिटा सके ये ज़माने में दम नहींहम से ज़माना ख़ुद है ज़माने से हम नहीं
उस को जुदा हुए भी ज़माना बहुत हुआअब क्या कहें ये क़िस्सा पुराना बहुत हुआ
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना हैसिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है
बदन में जैसे लहू ताज़ियाना हो गया हैउसे गले से लगाए ज़माना हो गया है
लोग कहते हैं बदलता है ज़माना सब कोमर्द वो हैं जो ज़माने को बदल देते हैं
वाक़िफ़ कहाँ ज़माना हमारी उड़ान सेवो और थे जो हार गए आसमान से
अपना ज़माना आप बनाते हैं अहल-ए-दिलहम वो नहीं कि जिन को ज़माना बना गया
ज़माना बड़े शौक़ से सुन रहा थाहमीं सो गए दास्ताँ कहते कहते
और भी दुख हैं ज़माने में मोहब्बत के सिवाराहतें और भी हैं वस्ल की राहत के सिवा
मिरी अपनी और उस की आरज़ू में फ़र्क़ ये थामुझे बस वो उसे सारा ज़माना चाहिए था
आग का क्या है पल दो पल में लगती हैबुझते बुझते एक ज़माना लगता है
या वो थे ख़फ़ा हम से या हम हैं ख़फ़ा उन सेकल उन का ज़माना था आज अपना ज़माना है
जिसे कहता है ज़माना बुत-ए-बे-महर-ओ-दग़ा-बाज़ जफ़ा-पेशा फ़ुसूँ-साज़ सितम-ख़ाना-बर-अन्दाज़ग़ज़ब जिस का हर इक नाज़ नज़र फ़ित्ना मिज़ा तीर बला ज़ुल्फ़-ए-गिरह-गीर ग़म-ओ-रंज का बानी क़लक़-ओ-दर्द
क्या हुस्न ने समझा है क्या इश्क़ ने जाना हैहम ख़ाक-नशीनों की ठोकर में ज़माना है
ये मोहब्बत का फ़साना भी बदल जाएगावक़्त के साथ ज़माना भी बदल जाएगा
तुम फिर उसी अदा से अंगड़ाई ले के हँस दोआ जाएगा पलट कर गुज़रा हुआ ज़माना
ग़म-ए-ज़माना ने मजबूर कर दिया वर्नाये आरज़ू थी कि बस तेरी आरज़ू करते
ज़माना हुस्न नज़ाकत बला जफ़ा शोख़ीसिमट के आ गए सब आप की अदाओं में
अपनी तरफ़ तो मैं भी नहीं हूँ अभी तलकऔर उस तरफ़ तमाम ज़माना उसी का है
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