aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "'afzal'"
तू भी सादा है कभी चाल बदलता ही नहींहम भी सादा हैं इसी चाल में आ जाते हैं
बिछड़ने का इरादा है तो मुझ से मशवरा कर लोमोहब्बत में कोई भी फ़ैसला ज़ाती नहीं होता
मैं चाहता था कि उस को गुलाब पेश करूँवो ख़ुद गुलाब था उस को गुलाब क्या देता
शिकस्त-ए-ज़िंदगी वैसे भी मौत ही है नातू सच बता ये मुलाक़ात आख़री है ना
अब जो पत्थर है आदमी था कभीइस को कहते हैं इंतिज़ार मियाँ
इतनी सारी यादों के होते भी जब दिल मेंवीरानी होती है तो हैरानी होती है
देर से आने पर वो ख़फ़ा था आख़िर मान गयाआज मैं अपने बाप से मिलने क़ब्रिस्तान गया
लोगों ने आराम किया और छुट्टी पूरी कीयकुम मई को भी मज़दूरों ने मज़दूरी की
इस तरह सताया है परेशान किया हैगोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है
वतन की पासबानी जान-ओ-ईमाँ से भी अफ़ज़ल हैमैं अपने मुल्क की ख़ातिर कफ़न भी साथ रखता हूँ
बना रक्खी हैं दीवारों पे तस्वीरें परिंदों कीवगर्ना हम तो अपने घर की वीरानी से मर जाएँ
जिस को मेरी हालत का एहसास नहींउस को दिल का हाल सुना कर रोना क्या
मुझे रोना नहीं आवाज़ भी भारी नहीं करनीमोहब्बत की कहानी में अदाकारी नहीं करनी
मैं ख़ुद भी यार तुझे भूलने के हक़ में हूँमगर जो बीच में कम-बख़्त शाइरी है ना
दिल की मस्जिद में कभी पढ़ ले तहज्जुद की नमाज़फिर सहर के वक़्त होंटों पर दुआ भी आएगी
अपनी बुलंदियों से गिरूँ भी तो किस तरहफैली हुई फ़ज़ाओं में बिखरा हुआ हूँ मैं
हमारा दिल ज़रा उकता गया था घर में रह रह करयूँही बाज़ार आए हैं ख़रीदारी नहीं करनी
नहीं था ध्यान कोई तोड़ते हुए सिगरेटमैं तुझ को भूल गया छोड़ते हुए सिगरेट
उजली उजली ख़्वाहिशों पर नींद की चादर न डालयाद के रौज़न से कुछ ताज़ा हवा भी आएगी
चाँद में कैसे नज़र आए तिरी सूरत मुझेआँधियों से आसमाँ का रंग मैला हो गया
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