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शेर
पाँव में लिपटी हुई है सब के ज़ंजीर-ए-अना
सब मुसाफ़िर हैं यहाँ लेकिन सफ़र में कौन है
तौसीफ़ तबस्सुम
शेर
दिल की बाज़ी हार के रोए हो तो ये भी सुन रक्खो
और अभी तुम प्यार करोगे और अभी पछताओगे
तौसीफ़ तबस्सुम
शेर
कौन से दुख को पल्ले बाँधें किस ग़म को तहरीर करें
याँ तो दर्द सिवा होता है और भी अर्ज़-ए-हाल के ब'अद
तौसीफ़ तबस्सुम
शेर
क्या ये सच है कि ख़िज़ाँ में भी चमन खिलते हैं
मेरे दामन में लहू है तो महकता क्या है
तौसीफ़ तबस्सुम
शेर
ऐ सालिक इंतिज़ार-ए-हज में क्या तू हक्का-बक्का है
बगूले सा तो कर ले तौफ़ दिल पहलू में मक्का है
वली उज़लत
शेर
तलाश-ए-यार में गर्दिश को मैं तौफ़-ए-हरम समझूँ
करूँ चारों-तरफ़ सज्दे कि वो हर-सू निकलते हैं
इमदाद अली बहर
शेर
मैं अगर चुप हूँ ये बहता हुआ दरिया क्या है
लब-कुशा हूँ तो मिरी बात से पहले क्या था