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शेर
क्यूँ न अफ़ई चले हर एक जगह मकड़ा कर
न पड़ा उस को तिरी ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम से काम
मोहम्मद रफ़ी सौदा
शेर
ये दिल कुछ आफी हो जाता है बंद और आफी खुलता है
न मैं क़ैद इस को करता हूँ न मैं आज़ाद करता हूँ
मीर हसन
शेर
दिल तो दिल अफ़ई-ए-गेसू वो बला है काफ़िर
इस का काटा कोई अफ़ई भी न पानी माँगे
सययद मोहम्म्द अब्दुल ग़फ़ूर शहबाज़
शेर
हज़ारों साल नर्गिस अपनी बे-नूरी पे रोती है
बड़ी मुश्किल से होता है चमन में दीदा-वर पैदा
अल्लामा इक़बाल
शेर
वक़्त आने दे दिखा देंगे तुझे ऐ आसमाँ
हम अभी से क्यूँ बताएँ क्या हमारे दिल में है