aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",c8de"
अब तो जाते हैं बुत-कदे से 'मीर'फिर मिलेंगे अगर ख़ुदा लाया
मैं मय-कदे की राह से हो कर निकल गयावर्ना सफ़र हयात का काफ़ी तवील था
न तुम होश में हो न हम होश में हैंचलो मय-कदे में वहीं बात होगी
काग़ज़ में दब के मर गए कीड़े किताब केदीवाना बे-पढ़े-लिखे मशहूर हो गया
कहते हैं उम्र-ए-रफ़्ता कभी लौटती नहींजा मय-कदे से मेरी जवानी उठा के ला
गुज़रे हैं मय-कदे से जो तौबा के ब'अद हमकुछ दूर आदतन भी क़दम डगमगाए हैं
दिन रात मय-कदे में गुज़रती थी ज़िंदगी'अख़्तर' वो बे-ख़ुदी के ज़माने किधर गए
बुत-कदे से चले हो काबे कोक्या मिलेगा तुम्हें ख़ुदा के सिवा
कभी तो दैर-ओ-हरम से तू आएगा वापसमैं मय-कदे में तिरा इंतिज़ार कर लूँगा
तेरी मस्जिद में वाइज़ ख़ास हैं औक़ात रहमत केहमारे मय-कदे में रात दिन रहमत बरसती है
शहज़ादी तुझे कौन बताए तेरे चराग़-कदे तककितनी मेहराबें पड़ती हैं कितने दर आते हैं
प्यार ही प्यार है सब लोग बराबर हैं यहाँमय-कदे में कोई छोटा न बड़ा जाम उठा
कोई है मस्त कोई तिश्ना-काम है साक़ीये मय-कदे का तिरे क्या निज़ाम है साक़ी
मय-कदे में क्या तकल्लुफ़ मय-कशी में क्या हिजाबबज़्म-ए-साक़ी में अदब आदाब मत देखा करो
बुत-कदे में शोर है 'अकबर' मुसलमाँ हो गयाबे-वफ़ाओं से कोई कह दे कि हाँ हाँ हो गया
ये ज़िंदगी के कड़े कोस याद आते हैंतिरी निगाह-ए-करम का घना घना साया
है ईद मय-कदे को चलो देखता है कौनशहद ओ शकर पे टूट पड़े रोज़ा-दार आज
ज़ाहिद को रट लगी है शराब-ए-तुहूर कीआया है मय-कदे में तो सूझी है दूर की
होश आने का था जो ख़ौफ़ मुझेमय-कदे से न उम्र भर निकला
मय-कदे की तरफ़ चला ज़ाहिदसुब्ह का भूला शाम घर आया
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