aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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कुछ तो मजबूरियाँ रही होंगीयूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता
किसी को घर से निकलते ही मिल गई मंज़िलकोई हमारी तरह उम्र भर सफ़र में रहा
दोनों जहान तेरी मोहब्बत में हार केवो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
कोई समझे तो एक बात कहूँइश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
इन्हीं पत्थरों पे चल कर अगर आ सको तो आओमिरे घर के रास्ते में कोई कहकशाँ नहीं है
कैसे कहें कि तुझ को भी हम से है वास्ता कोईतू ने तो हम से आज तक कोई गिला नहीं किया
मौत का भी इलाज हो शायदज़िंदगी का कोई इलाज नहीं
करूँगा क्या जो मोहब्बत में हो गया नाकाममुझे तो और कोई काम भी नहीं आता
हम से कोई तअल्लुक़-ए-ख़ातिर तो है उसेवो यार बा-वफ़ा न सही बेवफ़ा तो है
अंदाज़ अपना देखते हैं आइने में वोऔर ये भी देखते हैं कोई देखता न हो
दिल की तकलीफ़ कम नहीं करतेअब कोई शिकवा हम नहीं करते
कोई तुम सा भी काश तुम को मिलेमुद्दआ हम को इंतिक़ाम से है
कोई हाथ भी न मिलाएगा जो गले मिलोगे तपाक सेये नए मिज़ाज का शहर है ज़रा फ़ासले से मिला करो
आइना देख कर तसल्ली हुईहम को इस घर में जानता है कोई
न कोई वा'दा न कोई यक़ीं न कोई उमीदमगर हमें तो तिरा इंतिज़ार करना था
हम को अच्छा नहीं लगता कोई हमनाम तिराकोई तुझ सा हो तो फिर नाम भी तुझ सा रक्खे
वो कोई दोस्त था अच्छे दिनों काजो पिछली रात से याद आ रहा है
वैसे तो इक आँसू ही बहा कर मुझे ले जाएऐसे कोई तूफ़ान हिला भी नहीं सकता
इंसाँ की ख़्वाहिशों की कोई इंतिहा नहींदो गज़ ज़मीं भी चाहिए दो गज़ कफ़न के बाद
यूँ जो तकता है आसमान को तूकोई रहता है आसमान में क्या
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