aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",eHDi"
घरों पे नाम थे नामों के साथ ओहदे थेबहुत तलाश किया कोई आदमी न मिला
ये उड़ी उड़ी सी रंगत ये खुले खुले से गेसूतिरी सुब्ह कह रही है तिरी रात का फ़साना
किसी का अहद-ए-जवानी में पारसा होनाक़सम ख़ुदा की ये तौहीन है जवानी की
कुछ न पूछो 'फ़िराक़' अहद-ए-शबाबरात है नींद है कहानी है
जिस अहद में लुट जाए फ़क़ीरों की कमाईउस अहद के सुल्तान से कुछ भूल हुई है
असीर-ए-पंजा-ए-अहद-ए-शबाब कर के मुझेकहाँ गया मिरा बचपन ख़राब कर के मुझे
जो देखता हूँ वही बोलने का आदी हूँमैं अपने शहर का सब से बड़ा फ़सादी हूँ
मोहब्बत वहीं तक है सच्ची मोहब्बतजहाँ तक कोई अहद-ओ-पैमाँ नहीं है
जुगनू को दिन के वक़्त परखने की ज़िद करेंबच्चे हमारे अहद के चालाक हो गए
ता फिर न इंतिज़ार में नींद आए उम्र भरआने का अहद कर गए आए जो ख़्वाब में
सीरत न हो तो आरिज़-ओ-रुख़्सार सब ग़लतख़ुशबू उड़ी तो फूल फ़क़त रंग रह गया
तुम्हारे अहद-ए-वफ़ा को मैं अहद क्या समझूँमुझे ख़ुद अपनी मोहब्बत पे ए'तिबार नहीं
मेरे लिए जीने का सहारा है अभी तकवो अहद-ए-तमन्ना कि तुम्हें याद न होगा
इक और तीर चला अपना अहद पूरा करअभी परिंदे में थोड़ी सी जान बाक़ी है
बे-फ़िक्र रहो यारो मैं आज भी हूँ बर्बाददिन फिर गए हैं मेरे अफ़्वाह उड़ी होगी
पुराने अहद में भी दुश्मनी थीमगर माहौल ज़हरीला नहीं था
किया था अहद जब लम्हों में हम नेतो सारी उम्र ईफ़ा क्यूँ करें हम
मैं ने जिन के लिए राहों में बिछाया था लहूहम से कहते हैं वही अहद-ए-वफ़ा याद नहीं
मज़ा है अहद-ए-जवानी में सर पटकने कालहू में फिर ये रवानी रहे रहे न रहे
खुली छतों से चाँदनी रातें कतरा जाएँगीकुछ हम भी तन्हाई के आदी हो जाएँगे
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