aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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कैसे कह दूँ कि मुझे छोड़ दिया है उस नेबात तो सच है मगर बात है रुस्वाई की
देखने के लिए सारा आलम भी कमचाहने के लिए एक चेहरा बहुत
उस ने बारिश में भी खिड़की खोल के देखा नहींभीगने वालों को कल क्या क्या परेशानी हुई
सब इक चराग़ के परवाने होना चाहते हैंअजीब लोग हैं दीवाने होना चाहते हैं
की मिरे क़त्ल के बाद उस ने जफ़ा से तौबाहाए उस ज़ूद-पशीमाँ का पशीमाँ होना
इक बार उस ने मुझ को देखा था मुस्कुरा करइतनी तो है हक़ीक़त बाक़ी कहानियाँ हैं
अदा से देख लो जाता रहे गिला दिल काबस इक निगाह पे ठहरा है फ़ैसला दिल का
बस ये हुआ कि उस ने तकल्लुफ़ से बात कीऔर हम ने रोते रोते दुपट्टे भिगो लिए
आज उस ने हँस के यूँ पूछा मिज़ाजउम्र भर के रंज-ओ-ग़म याद आ गए
वफ़ा की कौन सी मंज़िल पे उस ने छोड़ा थाकि वो तो याद हमें भूल कर भी आता है
मेरी रुस्वाई के अस्बाब हैं मेरे अंदरआदमी हूँ सो बहुत ख़्वाब हैं मेरे अंदर
मुद्दत के बा'द उस ने जो की लुत्फ़ की निगाहजी ख़ुश तो हो गया मगर आँसू निकल पड़े
उस ने पूछा था क्या हाल हैऔर मैं सोचता रह गया
इतना तो बता जाओ ख़फ़ा होने से पहलेवो क्या करें जो तुम से ख़फ़ा हो नहीं सकते
जब से उस ने शहर को छोड़ा हर रस्ता सुनसान हुआअपना क्या है सारे शहर का इक जैसा नुक़सान हुआ
उस ने वा'दा किया है आने कारंग देखो ग़रीब ख़ाने का
उस ने अपना बना के छोड़ दियाक्या असीरी है क्या रिहाई है
हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस नेजो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया
उस ने मुझे दर-अस्ल कभी चाहा ही नहीं थाख़ुद को दे कर ये भी धोका, देख लिया है
उस ने जलती हुई पेशानी पे जब हाथ रखारूह तक आ गई तासीर मसीहाई की
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