aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
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इक रोज़ खेल खेल में हम उस के हो गएऔर फिर तमाम उम्र किसी के नहीं हुए
हर मुलाक़ात पे सीने से लगाने वालेकितने प्यारे हैं मुझे छोड़ के जाने वाले
उस हिज्र पे तोहमत कि जिसे वस्ल की ज़िद होउस दर्द पे ला'नत की जो अशआ'र में आ जाए
इतना हैरान न हो मेरी अना पर प्यारेइश्क़ में भी कई ख़ुद्दार निकल आते हैं
इक दिन तिरी गली में मुझे ले गई हवाऔर फिर तमाम उम्र मुझे ढूँढती रही
मुझ से कब उस को मोहब्बत थी मगर मेरे बा'दउस ने जिस शख़्स को चाहा वो मिरे जैसा था
हमीं ने हश्र उठा रक्खा है बिछड़ने परवो जान-ए-जाँ तो परेशान भी ज़ियादा नहीं
कुछ इस लिए भी तिरी आरज़ू नहीं है मुझेमैं चाहता हूँ मिरा इश्क़ जावेदानी हो
इस से पहले कि ये आज़ार गवारा कर लेंआ मिरी जान मोहब्बत से किनारा कर लें
दिल भी अजीब ख़ाना-ए-वहदत-पसंद थाइस घर में या तो तू रहा या बे-दिली रही
इक लम्हा-ए-फ़िराक़ पे वारा गया मुझेकैसी हसीन शाम में मारा गया मुझे
सफीर-ए-इश्क़ हमें अब तो हम सफ़र कर लोहमारे पास तो सामान भी ज़ियादा नहीं
मैं तो शब-ए-फ़िराक़ था तुम एक उम्र थीफिर भी ज़ियादा तुम से गुज़ारा गया मुझे
बचा के आँख बिछड़ जाएँ उस से चुपके सेअभी तो अपनी तरफ़ ध्यान भी ज़ियादा नहीं
अब के मसरूफ़ियत-ए-इश्क़ बहुत है हम कोतुम चले जाओ तो फ़ुर्सत से गुज़ारा कर लें
दिलों पे दर्द का इम्कान भी ज़ियादा नहींवो सब्र है अभी नुक़सान भी ज़ियादा नहीं
बदन में आग है रोग़न मिरे ख़याल में हैजुदा ही रह अभी ख़तरा बहुत विसाल में है
वो एक हाथ बढ़ाएगा तुझ को पा लेगासो देख सब्र का एलान भी ज़ियादा नहीं
उसे तो दौलत-ए-दुनिया भी कम भी पाने कोमिरी तो ज़ात का मीज़ान भी ज़ियादा नहीं
तमाम इश्क़ की मोहलत है इस आँखों मेंऔर एक लमहा-ए-इमकान भी ज़ियादा नहीं
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