aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम ",yAPi"
ये न थी हमारी क़िस्मत कि विसाल-ए-यार होताअगर और जीते रहते यही इंतिज़ार होता
ज़िंदगी से यही गिला है मुझेतू बहुत देर से मिला है मुझे
बस इक झिजक है यही हाल-ए-दिल सुनाने मेंकि तेरा ज़िक्र भी आएगा इस फ़साने में
तुम मेरे लिए अब कोई इल्ज़ाम न ढूँडोचाहा था तुम्हें इक यही इल्ज़ाम बहुत है
सियाह रात नहीं लेती नाम ढलने कायही तो वक़्त है सूरज तिरे निकलने का
कुछ उसूलों का नशा था कुछ मुक़द्दस ख़्वाब थेहर ज़माने में शहादत के यही अस्बाब थे
यही है ज़िंदगी कुछ ख़्वाब चंद उम्मीदेंइन्हीं खिलौनों से तुम भी बहल सको तो चलो
रोते फिरते हैं सारी सारी रातअब यही रोज़गार है अपना
वो जो हम में तुम में क़रार था तुम्हें याद हो कि न याद होवही यानी वादा निबाह का तुम्हें याद हो कि न याद हो
बस जान गया मैं तिरी पहचान यही हैतू दिल में तो आता है समझ में नहीं आता
अब दिल की तमन्ना है तो ऐ काश यही होआँसू की जगह आँख से हसरत निकल आए
इतनी पी जाए कि मिट जाए मैं और तू की तमीज़यानी ये होश की दीवार गिरा दी जाए
माँग लूँ तुझ से तुझी को कि सभी कुछ मिल जाएसौ सवालों से यही एक सवाल अच्छा है
ख़ुदा से माँग जो कुछ माँगना है ऐ 'अकबर'यही वो दर है कि ज़िल्लत नहीं सवाल के बा'द
जाने जो करे क़ौल न पूरा करे हर काम अधूरा यही दिन-रात तसव्वुर है कि नाहक़उसे चाहा जो न आए न बुलाए न कभी पास बिठाए न रुख़-ए-साफ़ दिखाए न कोई
क्यूँ हिज्र के शिकवे करता है क्यूँ दर्द के रोने रोता हैअब इश्क़ किया तो सब्र भी कर इस में तो यही कुछ होता है
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
मोहब्बत की सज़ा तर्क-ए-मोहब्बतमोहब्बत का यही इनआम भी है
फ़लक पे चाँद सितारे निकलते हैं हर शबसितम यही है निकलता नहीं हमारा चाँद
किसी हालत में भी तन्हा नहीं होने देतीहै यही एक ख़राबी मिरी तन्हाई की
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