aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
परिणाम "ابکائي"
मय जो दी ग़ैर को साक़ी ने कराहत देखोशीशा-ए-मय को मरज़ हो गया उबकाई का
कोई हिन्दू कोई मुस्लिम कोई ईसाई हैसब ने इंसान न बनने की क़सम खाई है
वो कहीं भी गया लौटा तो मिरे पास आयाबस यही बात है अच्छी मिरे हरजाई की
कभी हम से कभी ग़ैरों से शनासाई हैबात कहने की नहीं तू भी तो हरजाई है
उस अजनबी से हाथ मिलाने के वास्तेमहफ़िल में सब से हाथ मिलाना पड़ा मुझे
बहकना मेरी फ़ितरत में नहीं परसँभलने में परेशानी बहुत है
एक दीवार उठाई थी बड़ी उजलत मेंवही दीवार गिराने में बहुत देर लगी
कचरे से उठाई जो किसी तिफ़्ल ने रोटीफिर हल्क़ से मेरे कोई लुक़्मा नहीं उतरा
हसीन यादों के चाँद को अलविदा'अ कह करमैं अपने घर के अँधेरे कमरों में लौट आया
तू है हरजाई तो अपना भी यही तौर सहीतू नहीं और सही और नहीं और सही
वो तेरी भी तो पहली मोहब्बत न थी 'क़तील'फिर क्या हुआ अगर वो भी हरजाई बन गया
सख़्त तकलीफ़ उठाई है तुझे जानने मेंइस लिए अब तुझे आराम से पहचानते हैं
ता-क़यामत ज़िक्र से रौशन रहेगी ये ज़मींज़ुल्मतों की शाम में इक रौशनी है कर्बला
तुम्ही ने कौन सी अच्छाई की हैचलो माना कि मैं अच्छा नहीं था
हम फ़क़ीरों से बे-अदाई क्याआन बैठे जो तुम ने प्यार किया
शहर का भी दस्तूर वही जंगल वालाखोजने वाले ही अक्सर खो जाते हैं
आँख उठाई ही थी कि खाई चोटबच गई आँख दिल पे आई चोट
मोहब्बत में कठिन रस्ते बहुत आसान लगते थेपहाड़ों पर सुहुलत से चढ़ा करते थे हम दोनों
मुझ को मालूम था इक रोज़ चला जाएगा!वो मिरी उम्र को यादों के हवाले कर के
जा-नमाज़ों की तरह नूर में उज्लाई सहररात भर जैसे फ़रिश्तों ने इबादत की है
Devoted to the preservation & promotion of Urdu
A Trilingual Treasure of Urdu Words
Online Treasure of Sufi and Sant Poetry
World of Hindi language and literature
The best way to learn Urdu online
Best of Urdu & Hindi Books